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Friday, October 11, 2019

कढ़ाई पनीर


सामग्री:-
पनीर २०० ग्राम
शिमला मिर्च २
टमाटर ३
हरी मिर्च १
प्याज पेस्ट ३ प्याज का
काजू पेस्ट १ चम्मच
सूखे मसाले स्वादानुसार
तेल २ बड़े चम्मच
विधि:-
प्याज टमाटर और काजू को तेल मै हलका फ्राई कर के पेस्ट बनाएं।
अब तेल में तेज पत्ता डाले जीरा और हरी मिर्च डालें।
अब प्याज टमाटर काजू का पेस्ट डाले अच्छे से भूने।
शिमला मिर्च और पनीर के टुकड़े इस मै डाले।
अब नमक हल्दी धनिया पाउडर लाल मिर्च डाले ।
धीमी आंच पर पकाएं।
अब कसूरी मेथी का चूरा डाले।
गरमा गरम रोटी या नान के साथ परोसे।

विद्या पुरोहित

Friday, March 7, 2014


  नारी के रूप अनेक…………   

हे नारी तेरे कितने हैं रूप ,हर रूप में है तू बहूत  खूब ,

बेटी बन के हर घर को महकाती ,

पिता कि हर बात को सराहती ,

माँ के दर्द पे,प्यार का मलहम लगाती,

बहन बन भाई की कलाई पर,खुशियाँ  बांधी,

किसी  कि जो बनी तू जीवनसाथी,

हर तूफ़ा में उस के साथ रहती ,

माँ बन जीवनदायनी  तू बनती,

सारा संसार का प्यार उस पर  लुटाती, 

हे नारी तेरे कितने हैं रूप ,हर रूप में है तू बहूत  खूब ,

                                                                                   "विद्या" 



Saturday, October 19, 2013



हू मै बस उनका ही साया,कितना सच्चा मैंने जीवनसाथी पाया,

ठंडी हवा सा सकून है उन के साथ,है हम महफूज़ उन के साथ,

कयामत तक है हमारा साथ,हर जनम मे  हम होगे साथ,

वो  गर हम से गए रूठ,सांसे भी जाएगी हमारी रूठ ,

प्यार इतना किसी से न पाया,हर गम अब तो दूर गया ,

मेरी  सांसो मे उनकी सांसे महकती है,

हर साँस उन का नाम जपती है,

नहीं हु मै कुछ भी उनके बिन,माछी जैसे जल बिन,

………………. विद्या 


Thursday, September 19, 2013

swa;kranti

हर ओर तबाही  हुई ,क्यों  आज ये भारत पर आफत आई ,

हर और महंगाई की मार है,स्त्री का चीर हरण चारों  और है,

हर और युवा बेकार है,नौकरी की मारम -मर है,

गूंगी-बहरी सरकार है,

रूपया तो गिरा  सो गिरा ,मानवता भी खामोश है,

रॉकेट तो बहुत उड़ा लिए ,गरीब का पेट तो खाली  ही है,

सीमा पर क्यू हर कोई धाक जमाता है,?

काटे जिसने हमारे जवानों के धड़ है,

क्यों उन के लिए हम खामोश है,

कहाँ गया वो कारगिल वाला जज़्बा ,

क्या इतनी डरपोक हमारी  सरकार  है,??

सालो पहले लडे  जो फिरंगियों से,

आज क्रांति अपने आप से है,

जागो  और दिखा दो इस  दुनिया को,

खुशिया लाना हमारे हाथ मे  है. ………… 









Tuesday, September 17, 2013

natkhat.....bacpan

नटखट-बचपन 


याद है आज भी वो बचपन के नटखट भरे दिन,

नहीं रहते थे बिना खेले एक भी दिन,

बारिश के पानी मै हमारा भी जहाज ,गोते खाता था,

पेल-दूज खेल कर तो मन न भरा करता था,

क्रिकेट हो या घर-२ का खेल,

सब खेलो मे  हाथ आजमाते थे,

पूरी कॉलोनी को छुपम-छुपाई का घर बना लेते थे,

कब बजेगे घडी मे शाम के 5 ,

इसी का   करते रहते थे इंतजार,

हार  जाने पर भी न रोया करते थे,

बस दोस्तों के जीत की ही ख़ुशी मानते थे,

मस्ती का तो कोई नहीं अन्त  था,

बचपन का ज़माना ही कुछ और था.…. "विद्या"

Monday, August 26, 2013

बचपन-एक मासूम सी याद. 


बचपन का हर पल बहुत याद आता है,

हर वो बात जो आज भी दिल मे छुपी बैठी है,

यादो के झरोखों मे टकटकी लगे बैठी है,

क्या बात थी उस खट्टी-मीठी गोली मे ,

जो भाई से छीन कर खाई जाती थी,

क्या बात थी उस रोटी मे ,

जो सब के साथ चूर के खाई जाती थी,

हर शाम खेल ने निकल जाना,

पुरे मोहले मे उधम मचाना,

हर सुबह भाई का हाथ पकड़ स्कूल जाना,

स्कूल मे  होम वर्क के लिये दोस्तों से कॉपी मागना 

सर्दी होने पर स्कूल न जाना के लिए,बुखार का बहाना  बनाना,

टाइम निकल जाने पर,उठ खड़े होना,

माँ के साथ बाज़ार जाना,

और हर नए खिलोने की जिद करना,

पापा के आने पर दीदी से लड़ाई बंद कर पठने  बेठना ,

और हम है अच्छे बच्चे ये जताना ,

नींद खुलने से पहले माँ का चाय लाना,

सफाई के लिए बहन को बोल  देना,

छुट्टियों मई घंटो दोस्तों के साथ खेलना,

होली पर जम  कर गीले होना,

दिवाली मे रात भर जागना ,

हर त्यौहार बिना चिंता के मनाना ,

यही है सब के बचपन का ज़माना ,

"विद्या"




Wednesday, August 14, 2013

dulhan si azadi..........


आज़ादी -दुल्हन सी। …………. 

मना रहा है आज़ादी का दिवस आज देश,

क्या बदल लिया है आज़ादी ने अपना भेष?,

महगाई को बनाया अपना ताज़ ,

भ्रष्टाचार तो है उस का सरताज ,

बेरोज़गारी है आज़ादी का कंगन ,

कहा गया वो सोने का चमन,

निर्धनता हो गई उस की चुनरी,

फ़ौजी  की शहादत पर भी राजनीती बुनती,

चलो आज़ादी का वही रूप वापस हम सब मिल कर लाये,

सही अर्थ मै आज़ादी को मनाये,

आज़ादी को  दुल्हन सा सजाये,

आओ सच्चा आज़ादी दिवस मनाये,

देश की खुशिया वापस लाये,

"जय हिन्द "

विद्या